रात के घरौंदे में
देर तक खेलने के बाद
थककर सोयी वो चाँदनी
जब सुबह की खिड़की से
बाहर झांकती है
तो यक़ीं की चादर
ख़ुद ब ख़ुद
कहीं दूर उड़ जाती है
और वो उघड़न
ये पैग़ाम पहुँचाती है
कि गयी रात
कोई हक़ीक़त नहीं
बस एक सपना थी !