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भाई दूज का टीका मैं , हमेशा ही निभाऊँगा ,
बहन की उम्मीदों को , हमेशा ही सजाऊँगा ,
रेशम के कच्चे धागे से , बँधा है रिश्ता हमारा ,
इस धागे की मासूमियत , हमेशा ही बचाऊँगा !

रवि ; दिल्ली : ५ नवम्बर २०१३