चाँद तू ना करना कोई अभिमान
इस चाँदनी से है तेरा सम्मान
रूप से अधिक गुणों का है मान
तू नहीं उसकी वो है तेरी पहचान !

रवि शर्मा
अहमदाबाद , १७ जून २०११