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मेरे महबूब की मेहंदी का , नज़ारा क्या है ,
काजल का इन आँखो में , इशारा क्या है !

तेरी आँखों में डूब जायें , समंदर कितने ,
मेरे दिल की हस्ती का ये , किनारा क्या है !

तेरी मुस्कान पे क़ुर्बान हैं , हज़ारों दिल ,
फिर दिल मेरा प्यारा ये , बेचारा क्या है !

तेरी ज़ुल्फ़ों के बहने से , बहती है मस्ती ,
फिर हवा का तेरे बिन ये , गुज़ारा क्या है !

तेरी ख़ुशबू से मेरी साँस , आज है महकी ,
खोये ये होश आज मेरे , आवारा क्या है !

रवि ; दिल्ली : ५ अगस्त २०१३