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ग़मों ने मुझको मारा है , अभी थोड़ा तो जीने दो ,
बड़ी मुद्दत से प्यासा हूँ , अब तो मुझको पीने दो !

था ठुकराया ज़माने ने , तो ग़म के घूँट पीता था ,
अभी ठोकर में ज़माना है , अब तो मुझको पीने दो !

कहते हैं कि क़िस्मत है , हाथों की लकीरों में ,
मैं क़िस्मत जाम को मानूँ , अब तो मुझको पीने दो !

ना छलके आँख से आँसू , क़सम मेरी ये मुझको है ,
क़सम मुझको क़सम की है , अब तो मुझको पीने दो !

ये दुनिया चार दिन की है , कहते हैं ये सब मुझसे ,
मैं दो दिन खो चुका इसके , अब तो मुझको पीने दो !

रवि ; २७ अक्टूबर २०१३